दिल्ली हाईकोर्ट ने उस शख्स के खिलाफ जारी लुक आउट नोटिस को रद्द कर दिया है, जिसे कार लोन न चुकाने के चलते बैंक की तरफ से जारी किया गया था. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने अपने आदेश में कहा है कि कार लोन न चुकाना ऐसा अपराध नहीं कि किसी को लुक आउट नोटिस दिया जाए. इसकी वजह से किसी के मौलिक अधिकार नहीं छीने जा सकते.
लोन लेने वाले शख्स से संपर्क खत्म होने के बाद बैंक ने उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी. पुलिस स्टेशन में केस दर्ज करा दिया. वह लगातार गैरहाजिरी रहा, ना तो बैंक अधिकारी और ना ही थाने में हाजिर हो सका तो उसके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी कर दिया गया.
कोर्ट ने लोन लेने वाले को भी दिया आदेश
हाईकोर्ट के जज ने कहा कि पूरे मामले में अदालत की राय यह है कि दो कारों के संबंध में ऋण का भुगतान न करने पर याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों को नहीं छीना जा सकता. कोर्ट ने कहा कि यदि आरोपी याचिकाकर्ता जांच में सहयोग नहीं करता या अदालतों के सामने पेश नहीं होता तो लुक आउट नोटिस को जायज ठहराया जा सकता था.
हालांकि कोर्ट ने उस व्यक्ति को जांच एजेंसी के साथ सहयोग करने और अदालत के रजिस्ट्रार जनरल के पास 5 लाख रुपये की जमानत राशि जमा करने का निर्देश दिया है. साथ ही अपनी रेनॉल्ट डस्टर और वर्ना सीआरडीआई कारों का निपटान नहीं करने के लिए भी कहा.कोर्ट ने इसी साथ याचिकाकर्ता का पासपोर्ट को भी जारी करने का आदेश दिया है.